विश्वगुरु –भारत की आध्यात्मिक विरासत को समर्पित एक सिनेमा

“विश्वगुरु” केवल एक फिल्म नहीं है, बल्कि यह ज्ञान, परंपरा और भारतीय दर्शन की शक्ति पर आधारित एक गंभीर विचार है। फिल्म हमें याद दिलाती है कि हमारी असली ताकत शस्त्रों में नहीं, शास्त्रों में है।
शैलेश बोगाणी और अतुल सोनार के निर्देशन में बनी यह फिल्म, निर्माता सतीश पटेल (सुकृत प्रोडक्शन) के बैनर तले बनी है। इसकी पटकथा कीर्ति भाई और अतुल सोनी ने लिखी है, जो भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ी एक समकालीन यात्रा है।
कलाकारों का अभिनय
मुकेश खन्ना एक गहन और अनुभवी किरदार निभाते हैं, जो पूरे कथानक को दिशा देते हैं। कृष्ण भारद्वाज और गौरव पासवाला आधुनिक युवा की सोच और द्वंद्व को बख़ूबी चित्रित करते हैं। वहीं प्रशांत बरोत, मकरंद शुक्ल, श्रद्धा डांगर, हीना जयकिशन और राजीव मेहता जैसे कलाकार फिल्म को संतुलन और गहराई देते हैं।

कुरुष देबू, सोनाली लेले और चेतन दैया जैसे कलाकार भी अपने छोटे लेकिन प्रभावशाली अभिनय से छाप छोड़ते हैं।
संगीत और प्रस्तुति – मेहुल सुरती का संगीत फिल्म के भावों को सहजता से उभारता है। यह न तो हावी होता है, न ही कमजोर — बल्कि कहानी के साथ कदम से कदम मिलाता है।
आज के समय में जब पूरी दुनिया अस्थिरता और संघर्ष से जूझ रही है, “विश्वगुरु” यह संदेश देता है कि दुनिया को हथियारों की नहीं, विचारों की ज़रूरत है।
रेटिंग: 4.5/5 – भारतीय ज्ञान और सोच को फिर से खोजने का एक शानदार प्रयास।
