प्रधानमंत्री ने दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2025 का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री ने दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2025 का उद्घाटन किया


आर्य समाज के 150 वर्ष और महर्षि दयानंद सरस्वती की द्विशताब्दी का भव्य उत्सव

अहमदाबाद, 31 अक्टूबर 2025:स्वर्ण जयंती पार्क, रोहिणी, नई दिल्ली में आज अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2025 का भव्य शुभारंभ हुआ। यह आयोजन आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष और महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के ऐतिहासिक उत्सव का प्रतीक है। ‘ज्ञान ज्योति पर्व’ के अंतर्गत आयोजित इस चार दिवसीय वैश्विक सम्मेलन में 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जो महर्षि दयानंद के समाज सुधार, शिक्षा और आध्यात्मिक जागरण के अमूल्य योगदान को नमन करने एकत्र हुए हैं।

मुख्य अतिथि के रूप में पधारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया और आर्य समाज की 150वीं वर्षगांठ तथा महर्षि दयानंद की द्विशताब्दी के उपलक्ष्य में ₹150 और ₹200 के स्मारक सिक्के जारी किए। इस अवसर पर गुजरात एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल महामहिम श्री आचार्य देवव्रत, दिल्ली की मुख्यमंत्री माननीया श्रीमती रेखा गुप्ता सहित अनेक गणमान्य अतिथि, वैदिक विद्वान और आर्य समाज के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “आर्य समाज की 150वीं वर्षगांठ किसी एक समुदाय या पंथ का उत्सव नहीं है, यह संपूर्ण राष्ट्र की वैदिक पहचान से जुड़ा एक महोत्सव है।” उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आत्मा को सुरक्षित रखते हुए समाज सुधार और राष्ट्रीय चेतना को नई दिशा दी है। प्रधानमंत्री ने आर्य समाज के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि एक सदी और आधे से अधिक समय से यह संस्था वैदिक ज्ञान के प्रसार और नैतिक उत्थान का प्रेरक बनी हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि “आर्य समाज ने निडर होकर भारतीयता के सार को आगे बढ़ाया है।” उन्होंने बताया कि आर्य समाज के सत्य, समानता और सुधार के सिद्धांतों ने लाला लाजपत राय और राम प्रसाद बिस्मिल जैसे अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों को वैचारिक बल दिया। श्री मोदी ने कहा कि भले ही आर्य समाज की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका को वह मान्यता नहीं मिली जिसकी वह हकदार थी, परंतु इसका प्रभाव भारत के सामाजिक ताने-बाने और सुधारवादी परंपरा में गहराई से समाया हुआ है।

प्रधानमंत्री ने स्वामी दयानंद सरस्वती जी को “दूरदर्शी और महान पुरुष” बताते हुए कहा कि उन्होंने उस युग में राष्ट्र की आत्मा को जगाया जब समाज अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों में जकड़ा हुआ था। उन्होंने कहा, “जब भारत का आत्मविश्वास औपनिवेशिक शासन के तहत कमजोर हो गया था, तब स्वामी दयानंद जी का ‘वेदों की ओर लौटो’ का आह्वान हमारे राष्ट्रीय गर्व और नैतिक साहस को पुनर्जीवित करने वाला बना।” प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी दयानंद ने भारतीय समाज में आत्मविश्वास और नवजागरण की मशाल प्रज्वलित की।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि “आज भारत सतत विकास के वैश्विक प्रयासों में अग्रणी आवाज बनकर उभरा है।” उन्होंने वैदिक सिद्धांतों और आधुनिक पहलों के बीच समानता दर्शाते हुए कहा कि मिशन LiFE (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) और ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ जैसी पहलें इस बात का प्रमाण हैं कि भारत प्राचीन वैदिक ज्ञान को आधुनिक सततता के वैश्विक स्वरूप में बदल रहा है। “आज भारत का विकास उस वैदिक मंत्र ‘कृण्वन्तो विश्वमार्यम्’ की भावना को साकार कर रहा है — ‘हम विश्व को श्रेष्ठ बनाएं’,” उन्होंने कहा।

ज्ञान ज्योति पर्व के अध्यक्ष श्री एस.के. आर्य ने कहा, “आर्य समाज ने हर युग में समाज के ज्वलंत प्रश्नों का समाधान दृष्टि और दृढ़ संकल्प के साथ किया है। आज, महर्षि दयानंद की प्रेरणा से, हम सभी—विशेष रूप से युवा पीढ़ी—को सुधार, शिक्षा और राष्ट्रीय एकता की भावना को आगे बढ़ाने का संकल्प लेना चाहिए। सामूहिक प्रयास और व्यावहारिक कर्म ही वैदिक आदर्शों को साकार कर सकते हैं और विश्व कल्याण में योगदान दे सकते हैं।”

अंतरराष्ट्रीय आर्य महा सम्मेलन 2025 के पहले दिन की प्रमुख झलकियां: 

मॉरिशस के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम श्री धरम गोकहूल ने अपने संबोधन में कहा कि “आर्य समाज एक वैश्विक सामाजिक सुधार आंदोलन है” और मानवता के उत्थान के इस मिशन में पूरे विश्व से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हम आर्य समाज के आदर्शों का सम्मान करते हैं — वे एक सदी पहले जितने प्रासंगिक थे, आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। वेद हमारे अस्तित्व का आधार हैं और हमें सुखी और स्वस्थ जीवन जीने की शिक्षा देते हैं।”

22 वर्षीय युवा संचालक और आईएएस अभ्यर्थी मोहित गौर ने युवाओं की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने आर्य समाज और आईआईटी बॉम्बे के बीच जेबीएम समूह के सहयोग से हुए नवाचार और युवा सहभागिता प्रकल्प का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “केवल दोष देने से परिवर्तन नहीं होगा — परिवर्तन की जिम्मेदारी जेन जेड की है जो स्वामी जी की शिक्षाओं को आगे ले जाएगी। युवा पीढ़ी को यह मानना होगा कि विज्ञान वेदों के बाहर नहीं है — वेद ही विज्ञान हैं।” उन्होंने कहा कि शोध के माध्यम से वेदों के वैज्ञानिक तत्वों को और प्रमाणित किया जाएगा।

ऑस्ट्रेलिया, सूरीनाम और केन्या के प्रतिनिधियों ने भी अपने अनुभव साझा किए और आर्य समाज के वैश्विक प्रभाव पर प्रकाश डाला। सम्मेलन में सत्यार्थ प्रकाश और वैदिक साहित्य, सामाजिक सुधार और अंधविश्वास उन्मूलन, तथा राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका पर कई सत्र आयोजित किए गए।

डीएवी संस्थानों के विद्यार्थियों ने संगीत, कला और नाटक के माध्यम से स्वामी दयानंद जी की शिक्षाओं पर आधारित विशेष प्रस्तुति दी। दिन का समापन एक अद्भुत लेज़र शो के साथ हुआ, जिसने आर्य समाज की ऐतिहासिक यात्रा को भव्य रूप में प्रस्तुत किया।

सम्मेलन में आर्य समाज के जनजातीय प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया और शिक्षा व सामाजिक समावेशन पर चर्चा की। उन्होंने आदिवासी समुदायों के उत्थान के लिए आर्य समाज के प्रयासों, विशेषकर ग्रामीण भारत में बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की सराहना की।

कार्यक्रम का समापन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा ₹150 और ₹200 के स्मारक सिक्कों के विमोचन के साथ हुआ, जिसमें उनके साथ गुजरात और महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत तथा दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता उपस्थित थीं।

अंतरराष्ट्रीय आर्य महा सम्मेलन 2025, 2 नवंबर 2025 तक चलेगा, जिसमें वैदिक संवाद, वैश्विक युवा सम्मेलन, महिला सशक्तिकरण सत्र, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और आर्य समाज की 150 वर्षों की सेवा, सुधार और जागरण की यात्रा को दर्शाने वाली प्रदर्शनी शामिल होंगी।

deshpatrika

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *