कलर्स के ‘तू जुलियट जट्ट दी’ से संगीता घोष ने कहा— “यह शो माता-पिता को आईना दिखाता है, कि कैसे प्यार कभी-कभी नियंत्रण में बदल जाता है”

कलर्स के ‘तू जुलियट जट्ट दी’ से संगीता घोष ने कहा— “यह शो माता-पिता को आईना दिखाता है, कि कैसे प्यार कभी-कभी नियंत्रण में बदल जाता है”

जसमीत कौर (हीर), सैयद रजा अहमद (नवाब) और संगीता घोष (गुलाब) अभिनीत कलर्स का शो ‘तू जुलियट जट्ट दी’ एक जोशीली, नई पीढ़ी की प्रेम कहानी है, जो क्लासिक लव स्टोरी की धार ही बदल देता है। यहां पहले शादी होती है, फिर कॉलेज शुरू होता है और उसके बाद धीरे-धीरे प्यार पनपता है। चंडीगढ़ प्राइम यूनिवर्सिटी की पृष्ठभूमि पर आधारित यह शो दो बिल्कुल अलग स्वभाव वालों की कहानी है – नवाब एक बेफिक्र जट्ट है जो अपने दिल और इम्पल्स पर जीता है। हीर एक फोकस्ड, महत्वाकांक्षी लड़की है जो अपने परिवार के लिए बेहतर जिंदगी बनाने के सपने के साथ जीती है। दोनों की दुनिया एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है – वह बिंदास, अनियंत्रित और आवेगी, जबकि वह अनुशासित, जमीन से जुड़ी और साफ दिशा वाली। लेकिन तकदीर उन्हें कॉलेज की शुरुआत से पहले ही एक मजबूरी की शादी में जोड़ देती है। युवाओं की इस हलचल और भावनात्मक टकराव के बीच खड़ी है गुलाब – एक मां जिसका प्यार ही उसकी सबसे बड़ी ताकत भी है और कमजोरी भी। इस जटिल किरदार को जीवंत करने वाली संगीता घोष ने शो, अपने रोल और ‘तू जुलियट जट्ट दी’ को इतना अनोखा और दिल से जुड़ा बनाने वाले तत्वों पर खुलकर बात की।

  1. हमें ‘तू जुलियट जट्ट दी’ और आपके किरदार गुलाब के बारे में बताइए। वह इस दुनिया का इतना अहम हिस्सा क्यों है? जो बात मुझे ‘तू जुलियट जट्ट दी’ की तरफ सबसे पहले खींचकर लाई, वह इसकी सच्चाई थी। दो युवाओं को, जो अभी कॉलेज के लिए भी तैयार नहीं हुए, शादी के बंधन में धकेल दिया जाता है – यह शुरुआत से ही कहानी को बहुत दिलचस्प दिशा दे देता है। शो में एक युवा, रॉ-सी फील है और परिवार की जो डाइनामिक्स दिखाई गई हैं, वे बहुत जान-पहचान वाली लगती हैं। गुलाब इस दुनिया में बहुत नैचरली फिट हो जाती है। वह सालों से अपना घर अपने तरीके से चला रही है, इसलिए अचानक आने वाले बदलाव उसे परेशान करते हैं। वह खुलकर बोलती है, ईमानदारी से रिएक्ट करती है और जो उसे सही लगता है, उसके साथ मजबूती से खड़ी रहती है। यही सच्चाई कहानी को जमीन से जोड़े रखती है। एक कलाकार के तौर पर मुझे ऐसे किरदार पसंद हैं जो परफेक्ट बनने की कोशिश नहीं कर रहे होते, और गुलाब को निभाने का मजा भी मुझे इसी वजह से आता है।
  2. इस रोल की तरफ आपको क्या आकर्षित किया और गुलाब आपके पहले के रोल्स से कैसे अलग है? गुलाब की सबसे खास बात यह है कि उसकी भावनाएं बहुत असली लगती हैं। उसे निभाते समय मुझे मां होने के अलग-अलग पहलुओं पर सोचने का मौका मिला। मैं खुद एक मां हूं, तो मैं बहुत अच्छे से समझ सकती हूं कि कैसे प्यार-प्यार में ही आप इतना प्रोटेक्टिव हो जाते हैं कि खुद को भी पता नहीं चलता। यही वह जगह है जहां मैं उससे जुड़ गई। मैंने पहले भी मजबूत महिलाओं के किरदार निभाए हैं, लेकिन गुलाब की ताकत उसकी मां होने से आती है। एक ऐसे शो में, जो आज की पीढ़ी के नज़रिए से प्यार को देखता है, मैं उस दूसरी तरफ खड़ी हूं – एक ऐसी मां के रूप में, जिसका प्यार बहुत गहरा है, लेकिन बिल्कुल अलग तरह का है। वह तुरंत रिएक्ट करती है, कसकर पकड़ती है, छोड़ना नहीं जानती। उसकी सबसे बड़ी ताकत और उसकी सबसे बड़ी गलतियां – दोनों एक ही जगह से आती हैं, और वह है उसका अपने बच्चे के लिए प्यार।
  3. यह शो प्यार, आज़ादी और परिवार की उम्मीदों को कई नज़रियों से दिखाता है। आप गुलाब के नज़रिए को इसमें कैसे देखती हैं? गुलाब एक लेयर्ड किरदार है, क्योंकि उसके प्यार की एक डार्क साइड भी है। वह अपने बेटे से बेइंतहा प्यार करती है, लेकिन वही प्यार कभी-कभी बहुत कंट्रोलिंग और ओवरपावरिंग हो जाता है। वह नवाब की जिंदगी के हर हिस्से पर निगरानी रखना चाहती है – किसी बुराई से नहीं, बल्कि इस यकीन से कि उसे सच में पता है, उसके लिए क्या बेहतर है। उनकी पीढ़ी के लिए परिवार को कसकर पकड़कर रखना ही उन्हें सुरक्षित रखने जैसा महसूस होता था। जबकि आज के युवा प्यार को स्पेस और आज़ादी के रूप में देखते हैं। यही जगह है जहां गुलाब की दुनिया और नवाब की दुनिया टकराती है। वह उन माता-पिता की भावनात्मक याद दिलाती है, जिन्हें अपने बच्चों को छोड़कर आगे बढ़ने देना बहुत मुश्किल लगता है – खासकर तब, जब उनकी खुद की पहचान उनके बच्चे से जुड़ चुकी हो। वह पूरी तरह सही भी नहीं है और पूरी तरह गलत भी नहीं। वह सिर्फ एक मां है जो धीरे-धीरे यह समझ रही है कि आज का प्यार उस प्यार से बहुत अलग दिखता है, जिसमें वह खुद पली-बढ़ी थी।
  4. आपके को-स्टार सैयद रज़ा अहमद और जसमीत कौर, जो नवाब और हीर की भूमिका निभा रहे हैं, के साथ काम का अनुभव कैसा रहा? सैयद और जसमीत के साथ काम करना वाकई बहुत ताजगीभरा और सुखद रहा है। दोनों बहुत आसान, सुलझे हुए और अच्छे इंसान हैं, और सेट पर यह बात बहुत मायने रखती है। मैं हमेशा महसूस करती हूं कि अपने से छोटे को-एक्टर्स को कंफर्टेबल महसूस कराना मेरी जिम्मेदारी है, लेकिन इन दोनों के साथ यह अपने आप हो जाता है। वे दोनों बहुत शार्प हैं, जानते हैं कि खुद को कैसे प्रेजेंट करना है, और जिस स्पष्टता के साथ काम पर आते हैं, वह काबिले-तारीफ है। उनकी उम्र में मैं इतनी जागरूक या तैयार नहीं थी। हम शॉट्स के बीच बहुत हंसी-मजाक करते हैं, लेकिन जैसे ही कैमरा ऑन होता है, वे तुरंत स्विच कर जाते हैं। यह गंभीरता और तात्कालिकता का जो बैलेंस है, उसे मैं बहुत एंजॉय करती हूं, और यही एनर्जी सेट के माहौल को बहुत पॉज़िटिव बनाए रखती है।

5.    आपने इस शो के लिए चंडीगढ़ में समय बिताया। वहां शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?

मैंने चंडीगढ़ में कई बार शूट किया है, जिसमें मेरा पिछला कलर्स शो ‘स्वर्ण घर’ भी शामिल है। इसलिए यहां लौटना बहुत अच्छे मायनों में जाना-पहचाना लगा। इस शहर में एक स्थिरता, एक सुकून है, जो आपको आउटडोर शेड्यूल के हड़बड़ाहट भरे माहौल से दूर रखकर किरदार में ढलने में मदद करता है। यहां की टीम बहुत गर्मजोशी भरी है, काम की रफ्तार संतुलित है, और यह सब मिलकर बिना एहसास कराए परफॉर्मेंस को और बेहतर बना देता है। अपनी बेटी से दूर रहना हमेशा आउटडोर शूट का सबसे मुश्किल हिस्सा होता है, लेकिन वही भावना मुझे गुलाब को समझने और निभाने की बड़ी बुनियाद भी दे गई।

    6.    आपने कई यादगार टीवी किरदार निभाए हैं। आधुनिक यूथ ड्रामा और गहरे इमोशनल रूट्स को मिलाने वाले शो ‘तू जुलियट जट्ट दी’ में आपको सबसे ज़्यादा क्या उत्साहित करता है?

    मैंने बहुत सारे शोज किए हैं, लेकिन इस शो ने मुझे फिर से दुनिया को एक युवा नजरिए से देखने का मौका दिया है। कास्ट अपने साथ सोचने का एक नया तरीका लेकर आती है, और मैं सच में हर दिन उनसे कुछ नया सीखती हूं। इस कहानी की सबसे रोमांचक बात यह है कि यह प्यार और परिवार के उलझे हुए हिस्सों से नहीं भागती। यह रिश्तों को वैसे दिखाती है जैसे वे हैं – थोड़े उलझे, थोड़े खूबसूरत, थोड़े दर्दनाक, लेकिन सच्चे। मैं बचपन से एक्टिंग कर रही हूं, और ऐसा शो मुझे याद दिलाता है कि मैं आज भी यह काम क्यों उतने ही प्यार से कर रही हूं। यह मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है, चैलेंज करता है, चौंकाता है, और एक कलाकार के तौर पर मेरे लिए एक नया चैप्टर खोलता है।

      7.    कलर्स टीवी परतू जुलियट जट्ट दीके साथ आपकी वापसी हो रही है। एक ऐसे चैनल पर लौटना कैसा लग रहा है, जो आपके सफर का अहम हिस्सा रहा है?

      1. कलर्स पर वापस आना सच में ऐसा महसूस होता है जैसे मैं वहां लौट आई हूं, जहां हमेशा मेरे लिए एक नरम सा कोना बना रहा। यह चैनल मेरे सफर का सिर्फ प्रोफेशनल रूप से ही नहीं, बल्कि भावनात्मक तौर पर भी बहुत बड़ा पड़ाव रहा है। कलर्स के साथ मैंने हमेशा खुद को समझा गया, सम्मानित और क्रिएटिव रूप से भरोसेमंद महसूस किया है। ‘स्वर्ण घर’ के बाद भी मैं वही अपनापन अपने साथ लेकर चली। जब ‘तू जुलियट जट्ट दी’ मेरे पास आया, तो ऐसा लगा जैसे ब्रह्मांड मुझे फिर से घर भेज रहा हो। जो बात इसे और खास बनाती है, वह यह है कि कलर्स ने मुझे गुलाब जैसा किरदार सौंपा – जो इंटेन्स है, इमोशनल है, आग भी है और ममता भी। वे आपको स्पेस देते हैं, एक्सपेरिमेंट करने का मौका देते हैं, रिस्क लेने की आज़ादी देते हैं और आपके अंदर की नई परतों को खोजने की गुंजाइश देते हैं। इस तरह का भरोसा बहुत कम मिलता है, और इसी वजह से यह वापसी मेरे लिए एक सेलिब्रेशन जैसी लगती है।

      8.    दर्शकों के लिए आपका संदेश क्या है?

      1. शो को स्क्रीन पर अपना रिदम पकड़ते देखना हमारे लिए बहुत मज़ेदार रहा है। और जैसे ही प्रीमियर के बाद दर्शकों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हुईं, हम सबको एक नया उत्साह मिल गया। हर एपिसोड के साथ कहानी बहुत ही दिलचस्प तरीके से खुलती जा रही है। मैं सच में उत्सुक हूं कि दर्शक देखें कैसे ड्रामा, इमोशन और रोज़-मर्रा के परिवार वाले झगड़े-प्यार की मीठी-कड़वी बातें आगे बढ़ती हैं। गुलाब की ऊर्जा भी हर एपिसोड के साथ और दिलचस्प होती जा रही है, और उन बदलावों को निभाना मेरे लिए बहुत आनंददायक है। हम सब इस सफर का दिल से आनंद ले रहे हैं, और यह महसूस करना बहुत सुंदर है कि दर्शक भी हमारे साथ इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं।

      तू जुलियट जट्ट दीरोज़ाना शाम 7:00 बजे, सिर्फ कलर्स पर देखना भूलें

      deshpatrika

      Related articles

      Leave a Reply

      Your email address will not be published. Required fields are marked *