गीरगंगा परिवार ट्रस्ट द्वारा दिसंबर में राजकोट में प्रसिद्ध तत्व- चिंतन कथाकार डॉ. कुमार विश्वास की तीन दिवसीय ‘जलकथा : अपने अपने श्याम की’
					● सौराष्ट्र और गुजरात में जलसंचय हेतु 1,11,111 संरचनाएं बनाने के संकल्प के साथ गीरगंगा परिवार ट्रस्ट का भगीरथ आयोजन
● आगामी 15, 16 और 17 दिसंबर को राजकोट के रेसकोर्स मैदान में होने वाली ‘जलकथा’ को लेकर पूरे सौराष्ट्र और गुजरात में उत्साह का माहौल
गीरगंगा परिवार ट्रस्ट का प्रभाव:
• 7 ज़िलों, 35 तालुकाओं के 582 गाँवों और शहरी क्षेत्रों में कुल 8,354 चेकडैम, तालाब तथा कुएं/बोरवेल रिचार्ज के कार्य पूर्ण किए गए हैं।
• इन प्रयासों से 7.55 लाख लोगों को सीधा लाभ पहुँचा है, जिनमें 1.51 लाख छोटे और सीमांत किसान शामिल हैं।
• भू–जल स्तर पुनर्स्थापित हुआ है तथा 4.29 लाख एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
मुंबई : गीरगंगा परिवार ट्रस्ट की जलसंचय के क्षेत्र में की गई सतत और अथक मेहनत के परिणामस्वरूप सौराष्ट्र और गुजरात में परिवर्तन की एक नई शुरुआत हो रही है। इसी दिव्य कार्य को और अधिक बल देने के लिए हिंदी जगत के सुप्रसिद्ध कवि, दार्शनिक और कथाकार डॉ. कुमार विश्वास दिसंबर महीने में राजकोट में तीन दिनों तक ‘जलकथा : अपने अपने श्याम की’ करेंगे।
विशेष रूप से शिक्षित वर्ग और युवाओं में अत्यधिक लोकप्रिय डॉ. कुमार विश्वास केवल कवि ही नहीं, बल्कि सच्चे अर्थों में एक गहन चिंतक भी हैं। वे सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर अपने विचारों को स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं। अपने प्रवचनों और कथाओं के माध्यम से वे भारतीय संस्कृति और मूल्यों पर बल देते हैं। उनके विषयों में प्रमुख रूप से राम, रामायण, श्रीकृष्ण, महाभारत और अन्य प्राचीन ग्रंथों का समावेश होता है।
आगामी 15, 16 और 17 दिसंबर को प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से मध्यरात्रि 12 बजे तक डॉ. कुमार विश्वास ‘जलकथा : अपने अपने श्याम की’ विषय पर प्रवचन देंगे। नई पीढ़ी को नए विचार और दृष्टिकोण देने के उद्देश्य से गीरगंगा परिवार ट्रस्ट ने इस व्यासपीठ के लिए डॉ. विश्वास को आमंत्रित किया है। कथा में वे न केवल श्रीकृष्ण की कथाओं का वर्णन करेंगे, बल्कि जलसंचय की आवश्यकता और महत्व पर भी विस्तार से चर्चा करेंगे।
सौराष्ट्र और गुजरात के लिए पानी सबसे बड़ी आवश्यकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए, गीरगंगा परिवार ट्रस्ट ने चेकडैम गहराने, मरम्मत करने, ऊंचे करने, नए बनाने, बोरवेल-रिचार्ज, खेत तालाब और जलस्रोत खड्डों जैसे 1,11,111 जलसंचय संरचनाओं के निर्माण का संकल्प लिया है। अब तक ट्रस्ट की समर्पित टीम के प्रयासों से लगभग 8,200 संरचनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।

पानी की कमी के कारण सौराष्ट्र के कई गांव खाली हो चुके हैं और ग्रामीण युवा रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, जिससे शहरीकरण की नई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। ऐसे में गीरगंगा परिवार ट्रस्ट की जलसंचय मुहिम से सौराष्ट्र और गुजरात के ग्रामीण इलाकों में फिर से जीवन लौटने की उम्मीद है।
कथा से पूर्व, जलसंचय जनजागृति के तहत देश की 111 पवित्र नदियों का जल कुंभ में भरकर राजकोट लाया जाएगा। 14 दिसंबर को इन सभी नदियों के जल का विधिवत पूजन यजमान दंपतियों के हाथों कराया जाएगा।
इस आयोजन को और व्यापक बनाने के लिए कथा से पहले विभिन्न जाति-मंडलों, सामाजिक संस्थाओं, साधु-संतों और जनप्रतिनिधियों के सम्मेलन एवं स्नेहमिलन आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि सभी वर्ग इस भगीरथ कार्य से जुड़ सकें।
सौराष्ट्र को हरा-भरा बनाने और समाज के अग्रणी लोगों को जलसंचय के कार्य में योगदान देने हेतु इस ‘जलकथा : अपने अपने श्याम की’ का आयोजन किया जा रहा है। अनुमान है कि राजकोट के रेसकोर्स मैदान में इस कथा में लगभग डेढ़ लाख श्रोता उपस्थित रहेंगे।
गीरगंगा परिवार ट्रस्ट के प्रमुख श्री दिलीपभाई सखिया और ट्रस्ट के मार्गदर्शक व प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष डॉ. भरतभाई बोगरा ने दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री और पूर्व गुजरात भाजपा अध्यक्ष श्री सी.आर. पाटिल की अध्यक्षता में डॉ. कुमार विश्वास से मुलाकात की थी। इस बैठक में गीरगंगा ट्रस्ट की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी लेने के बाद डॉ. विश्वास ने राजकोट में तीन दिवसीय ‘जलकथा’ करने की सहमति दी।
यह उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जलशक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल इस आयोजन में गहरी रुचि लेकर हर स्तर पर मार्गदर्शन दे रहे हैं। भारत सरकार द्वारा स्वीकृत चार जलसंचय मॉडलों में गीरगंगा का मॉडल शीर्ष पर है। जलशक्ति मंत्रालय ने ट्रस्ट के साथ एमओयू कर उनके कार्यों के लिए एक विशेष पोर्टल भी आवंटित किया है। हाल ही में लोकसभा में भी गीरगंगा परिवार ट्रस्ट के कार्यों की सराहना की गई थी।
साहित्य जगत और नई सोच के लिए उत्सुक युवा पीढ़ी डॉ. कुमार विश्वास की कथा का बेसब्री से इंतज़ार कर रही है। कथा की तैयारियां पूरे जोरों पर हैं — ट्रस्ट के पदाधिकारियों, शुभचिंतकों और कार्यकर्ताओं की लगातार बैठकें हो रही हैं और विभिन्न समितियों का गठन किया गया है।
महाराष्ट्र और मुंबई में बसे सौराष्ट्र एवं गुजरात के परिवारों से भी गीरगंगा परिवार ट्रस्ट ने आह्वान किया है कि वे मातृभूमि के जलसंचय के इस अभियान में तन-मन-धन से सहयोग दें और तीन दिवसीय कथा में उपस्थित होकर इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनें।
