समीक्षा जयसवाल ने कलर्स के ‘राम भवन’ में घर और ऑफिस में एक अत्याचारी महिला की भूमिका निभाने के बारे में खुलकर बात की

समीक्षा जयसवाल ने कलर्स के ‘राम भवन’ में घर और ऑफिस में एक अत्याचारी महिला की भूमिका निभाने के बारे में खुलकर बात की

हर घर की अपनी कहानियां होती हैं, लेकिन भूमिका को अनोखे ढंग से रिवर्स करते हुए, कलर्स अपने नए शो ‘राम भवन’ में सत्ता संघर्ष से भरी एक हवेली के दरवाज़े खोलता है। यह आगामी पारिवारिक ड्रामा इस अशांत निवास की दीवारों के भीतर गर्व, बुद्धि और अहंकार के धमाकेदार झगड़े पर से पर्दा उठाता है। राम भवन में आपका स्वागत है, जहां विद्रोही स्वभाव का मनमौजी ‘हिसाब का बड़ा पक्का’ ओम, घमंडी अकड़ के साथ घूमता है, लेकिन जुगाड़ की अपनी आदत के दम पर जीने के लिए तरसता है। ओम के विपरीत, ईशा धैर्यवान और जमीन से जुड़ी हुई लड़की है, जो पहले एक अमीर परिवार से थी लेकिन वित्तीय बर्बादी के बाद वह फिर से अपनी स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में पूरे दृढ़ संकल्प के साथ काम रही है। ओम और ईशा के बीच कुछ भी समान नहीं है, सिवाय इस बात ​के कि उनका दुश्मन एक ही है – गायत्री, ओम की चालाक भाभी और ईशा की क्रूर बॉस। गायत्री, राम भवन की तानाशाह है, जो पैसों की डोर को संभालती है और उससे अपने ससुराल के नसीब को भी। उसकी क्रूर हुकूमत को उसके जुगाड़ू देवर ओम से चुनौती मिलती है, जो अपनी भाभी के हाथों मिलने वाले गंभीर अपमान को सहन करते हुए, अपने परिवार की गरिमा को फिर से हासिल करने और अपनी काबिलियत साबित करते हुए सरकारी नौकरी हासिल करने की कोशिश करता है। इस बीच, एक साधारण जीवन जीने वाली राजकुमारी, ईशा अपने क्रूर बॉस गायत्री के अनुचित क्रोध के खिलाफ धैर्य की मूरत के रूप में खड़ी है। उसका अमीर परिवार दिवालिया हो गया है, जिसके बाद, ईशा ने गायत्री द्वारा निरंतर उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद अपनी पेशेवर क्षमता को साबित किया है। गायत्री से लगातार मिलते अपमान से उत्तेजित होकर, ओम और ईशा साथ मिलकर एक अप्रत्याशित गठबंधन बनाते हैं, जिससे उनके साझा दुश्मन के साम्राज्य के उखड़ने का खतरा पैदा हो जाता है। क्या ओम और ईशा गायत्री के प्रभुत्व को खत्म करने में कामयाब होंगे या उन्हें उसकी क्रूर ताकत के आगे अपना सिर झुकाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा?  ओम के रूप में मिश्कत वर्मा, ईशा की भूमिका में खुशी राजेंद्र, और गायत्री के रूप में समीक्षा जयसवाल अभिनीत, ‘राम भवन’ का प्रीमियर 29 जनवरी को हुआ है, और यह हर रात 8.30 बजे केवल कलर्स पर प्रसारित होता है।

  1. हमें शो के बारे में बताएं।

‘राम भवन’ एक मनोरंजक पारिवारिक ड्रामा है, जो प्रयागराज में ‘राम भवन’ नामक एक विशाल बंगले की भव्य, रहस्यों से भरी दीवारों के भीतर बुद्धि, अहंकार और साहस के मेल के इर्द-गिर्द घूमता है। वाजपेयी परिवार की दबंग बहू गायत्री एक प्रतिष्ठित रेस्तरां में जनरल मैनेजर है, और पूरे परिवार में उसका दबदबा है क्योंकि वह घर की आर्थिक ज़िम्मेदारी संभालती है। उसके प्रभुत्व को उसके विद्रोही देवर ओम से चुनौती मिलती है, जो परिवार के सदस्यों को नीचा दिखाने और उनके खिलाफ उसकी वित्तीय शक्ति का उपयोग करने के कारण उससे नाराज़ है, साथ ही वह अपनी योग्यता साबित करने के लिए सरकारी नौकरी हासिल करने की कोशिश करता है। इस बीच, गायत्री की विनम्र लेकिन मजबूत इरादों वाली कर्मचारी, ईशा एक साधारण जीवन जीने वाली राजकुमारी है जिसका अमीर परिवार अब दिवालिया हो चुका है। गायत्री की असुरक्षाओं के कारण ईशा की ज़िंदगी मुहाल हो जाती है, जिसके बावजूद, ईशा उसे धैर्य के साथ संभालती है। साथ में, ओम और ईशा खुद को गायत्री के खिलाफ एक अप्रत्याशित गठबंधन में पाते हैं। ‘राम भवन’ एक ऐसा मंच बन जाता है जहां उद्देश्य, गर्व, और शक्ति का संघर्ष ऐसे टकराव में बदल जाता है, जहां एक तरफ ओम और ईशा हैं, और दूसरी तरफ गायत्री है।

  1. हमें अपने किरदार के बारे में बताएं।

गायत्री ऐसा किरदार है जिसमें कई विरोधाभास हैं – ताकतवर फिर भी कमजोर, हुक्म चलाने वाली फिर भी असुरक्षित। राम भवन में हर बात का निर्णय वह ही लेती है, वह अपने ससुराल और कार्यस्थल को कठोरता से चलाती है, हर कीमत पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए दृढ़ संकल्पित है। हालांकि, उसके कठोर बाहरी रवैये के पीछे ऐसी महिला है जो अपने ही संघर्षों और गहरे डर से संघर्ष करती है। उसके शासन को उसके देवर ओम और उसकी कर्मचारी ईशा से लगातार चुनौती मिलती है। हर चीज को अपनी मुट्ठी में रखने की यह निरंतर लड़ाई ही उसे एक आकर्षक खलनायिका बनाती है। उसके किरदार से कहानी में वास्तविक तनाव आता है, जिससे घर और कार्यस्थल में काफी टकराव होता है। गायत्री का सफर ताकत, गौरव और कमज़ोरी की यात्रा है, और कहानी में उसकी उपस्थिति अन्य किरदारों को बदलाव लाने की कोशिश करने के लिए प्रेरित करती है।

  1. आपने अपने किरदार के लिए किस तरह की तैयारी की?

गायत्री के लिए, मैंने स्क्रिप्ट पढ़ने और लेखकों के साथ इस किरदार पर चर्चा करने में बहुत समय बिताया, ताकि मैं उसकी चीजों को अपने काबू में रखने की चाहत को समझ सकूं। गायत्री महत्वाकांक्षी है लेकिन उसने जो कुछ भी हासिल किया है वह उसे खोने से डरती भी है, इसलिए मैंने उसकी ताकत और कमज़ोरियां दोनों को दिखाने पर ध्यान दिया। मैंने अपने प्रदर्शन को परिभाषित करने के लिए एक विशिष्ट बोलचाल और स्टाइल तैयार करने में विचार किया।

  1. कलर्स के साथ सहयोग करने का आपका अनुभव कैसा रहा?

कलर्स में वापस आकर घर लौटने जैसा लग रहा है। सालों से, यह चैनल ऐसी कहानियां प्रस्तुत करता रहा है जिन्होंने दर्शकों के दिलों को छुआ और उन्हें सोचने पर मजबूर किया है। किसी कलाकार के लिए, इससे अधिक संतोषजनक कुछ नहीं होता,​ कि वह ऐसे मंच का हिस्सा बने जो सार्थक और प्रासंगिक कॉन्टेंट को बढ़ावा देता हो।

  1. अपने सह-कलाकारों के साथ काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा?

मिश्कत और खुशबू बेहतरीन कलाकार हैं, जो अपने किरदारों को काफी अनूठे और दमदार तरीके से निभाते हैं। खुशबू, ईशा के किरदार में जो गहराई लाती हैं, उससे सीन्स भावनात्मक रूप से प्रभावशाली बन जाते हैं, जबकि मिश्कत की स्वाभाविकता उनके साथ काम करने के अनुभव को और भी सुखद बना देती है।

  1. एक कलाकार के रूप में इस सफर का कौन सा हिस्सा आपके लिए सबसे रोमांचक है?

गायत्री का किरदार दिलचस्प है क्योंकि इसमें कई पहलू हैं, जो उसे सबसे अलग बनाते हैं। मेरे लिए सबसे रोमांचक बात यह है कि मैं उसकी कमज़ोरियों को तलाशते हुए, उसे एक मजबूत और आत्मनिर्भर व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत कर रही हूं। एक ऐसे व्यक्ति का किरदार निभाना कठिन है, जो ताकत और चीजों को अपने काबू में रखने का भूखा है, क्योंकि मैं उसे जज नहीं कर सकती, बल्कि मुझे उसे समझना है और उसके चश्मे से दुनिया को देखना है। यह उसके चरित्र से जुड़ने और उसकी सच्ची भावनाओं को दिखाने के बारे में है, न कि केवल उसके कार्यों पर ध्यान देने के बारे में। यह एक चुनौतीपूर्ण लेकिन संतोषजनक अनुभव रहा है।

  1. अपने किरदार को निभाने में सबसे बड़ी चुनौती क्या रही?

गायत्री ऐसा किरदार है जो लगातार षडयंत्र रचती रहती है, और उसे निभाने के लिए गहरी भावनात्मक और मानसिक तैयारी की ज़़रूरत थी। मुझे ऐसे व्यक्ति की मानसिकता को समझना पड़ा जो महत्वाकांक्षा से प्रेरित है, लेकिन साथ ही, उसने जो कुछ हासिल किया है, वह उसे खोने से भी डरती है।

  1. इस शो को अन्य पारिवारिक ड्रामा से क्या अलग बनाता है?

राम भवन पारिवारिक ड्रामा और प्रबल सत्ता संघर्ष के अपने दमदार संयोजन के साथ वाकई अलग खड़ा है। राम भवन की हेरिटेज प्रॉपर्टी सिर्फ एक पृष्ठभूमि नहीं है – यह एक किरदार बन जाती है, जो अहंकार, साहस और पारिवारिक संबंधों के टकराव का प्रतीक है। यह ड्रामा इस घर के इर्द-गिर्द घूमता है, जहां घर और कार्यालय दोनों की राजनीति टकराती है, और अक्सर एक ही सत्तावादी या अत्याचारी व्यक्ति का सामना करती है। व्यक्तिगत और पेशेवर पावर प्ले का यह अनूठा मिश्रण राम भवन को टेलीविज़न पर किसी अन्य से अलग कहानी बनाता है।

  1. हमारे फैंस के लिए कोई संदेश?

हम वाकई आपको अपने किरदारों से मिलाने और राम भवन की दीवारों के भीतर होने वाले ड्रामा का अनुभव कराने के लिए उत्साहित हैं। इस कहानी में हमने दिल से मेहनत की है, और हर पल को देखभाल और समर्पण के साथ साकार किया गया है। हम अपनी दुनिया में आपका स्वागत करने और इस सफर को आपके साथ साझा करने की प्रतीक्षा नहीं कर सकते। आशा है कि आप इस शो को उतना ही प्यार देंगे जितने प्यार से हमने इसे बनाया है!

‘राम भवन’ में ड्रामा और पावर प्ले में कदम रखने के लिए तैयार हो जाइए; इसका प्रीमियर 29 जनवरी को हुआ है और यह हर रात 8.30 बजे केवल कलर्स पर प्रसारित होता है।

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