पंथ श्री हुजूर उदितमुनि नाम साहेब की गुजरात यात्रा “नवोदय यात्रा” के.डी.वी मिशन सिद्धांत के अनुरूप सम्पन्न हुई

• “सद्गुरु कबीर नवोदय यात्रा गुजरात – 2025” का अंतिम दिन एवं समापन समारोह 16 अप्रैल 2025- बुधवार को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ऑडिटोरियम हॉल, वस्त्राल, अहमदाबाद (गुजरात) में आयोजित किया जाएगा।
अहमदाबाद: विश्वविख्यात सद्गुरु कबीर साहेब के पावन ज्ञान के वर्तमान वाहक, कबीर पंथ की गंगा आधारित धारा एवं कबीर पंथ की वंश परम्परा के अनुसार 16वीं पीढ़ी के प्रतापाचार्य पंथ के अधिष्ठाता श्री हुजूर उदितमुनि नाम साहेब कबीर धर्मनगर दामाखेड़ा जिला-बलौथा बाजार छत्तीसगढ़, सम्पूर्ण भारत में आयोजित नवोदय यात्रा के तीसरे चरण में 42 दिनों के लिए गुजरात भ्रमण पर हैं। यह यात्रा सद्गुरु कबीर धर्मदास वंशावली अभियान यानी के.डी.वी मिशन के तत्वाधान में पूरी हो रही है। “सद्गुरु कबीर नवोदय यात्रा गुजरात – 2025” का अंतिम दिन और समापन समारोह 16 अप्रैल 2025 – बुधवार को डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ऑडिटोरियम हॉल, वस्त्राल, अहमदाबाद (गुजरात) में आयोजित किया महंत पर्वतदास (के.डी.वी मिशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता), महंत रामदास (राज्य प्रतिनिधि गुजरात, के.डी.वी मिशन) और ऐमन भाई (राष्ट्रीय महासचिव, के.डी.वी मिशन) ने इस संबंध में जानकारी प्रदान की।
इस अवसर पर दोपहर 2 बजे पंथ श्री उदितमुनि नाम साहेब का आगमन होगा, जिनके मार्गदर्शन में गुजरात प्रांत के सभी राज्यों, जिलों और तालुकों से आए प्रतिनिधियों सहित युवा, महिला और श्रद्धालुओं की विशेष बैठक होगी। के.डी.वी मिशन के इस भव्य कार्यक्रम में गुजरात राज्य के सभी प्रतिनिधि, महंत-दीवान साहब, साधु-संत, श्रद्धालु, युवा-महिलाएं तथा धर्मावलंबी माताएं-बहनें और उनके परिवारजन उपस्थित रहेंगे।

कबीर धर्मदास वंशावली मिशन (के.डी.वी मिशन) का मुख्य उद्देश्य “जीव दया और आत्म पूजा” का एक महान और प्रेरक संदेश देना है जो कबीर साहिब के संपूर्ण दर्शन को एक पंक्ति में समाहित करता है।
कबीर पंथ समाज को एकजुट कर विश्व पटल पर अग्रणी बनाना, सद्गुरु कबीर साहेब को विश्व पटल पर वह सम्मान और भूमिका प्रदान करना जिसके वे हकदार हैं, अध्यात्म का नया साहित्य रचना, समाज में छिपी प्रतिभाओं को पहचानना और उन्हें प्रोत्साहित करना, मानव को मानवता के पथ पर अग्रसर कर उन्हें सेवा, समानता और सद्भाव का पाठ पढ़ाना, विश्व कल्याण के लिए अध्यात्म को जीवन के केंद्र में रखना और स्वार्थ व अहंकार से ऊपर उठकर जीवन जीने का मंत्र देना, पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा करना, सभी जीवों पर दया करना, करुणा और आत्म-पूजा का सार समझाना और आत्म-पहचान के लिए आत्म-पूजा का संदेश देना, जीवन में स्वयं के लिए समय निकालना और स्वयं के कल्याण के मार्ग पर चलना।
पिछले वर्ष राजस्थान की सफल यात्रा के बाद पंथ श्री ने इस वर्ष प्रयागराज महाकुंभ तीर्थ स्थल की यात्रा की। भारत के संतों, जगतगुरु शंकराचार्य मतधीशों, कथा वाचकों से भेंट करते हुए सद्गुरु ने नवोदय यात्रा के उद्देश्य पर चर्चा की, विश्व बंधुत्व, विश्व कल्याण और प्रकृति प्रेम का संदेश दिया तथा सभी से एकजुट होकर विश्व की भलाई के प्रयासों में सहभागी बनने की अपील की। आज यात्रा का तीसरा पड़ाव भी गुजरात की धरती पर आनंद के साथ पूरा हो रहा है।