स्ट्रोक के मरीजों को जल्दी ठीक करने के लिए मास्टर स्ट्रोक केयर

स्ट्रोक के मरीजों को जल्दी ठीक करने के लिए मास्टर स्ट्रोक केयर

अहमदाबाद : भारतीय स्ट्रोक एसोसिएशन (आईएसए) ने १२ मई को वाराणसी में ‘मिशन ब्रेन अटैक’ लॉन्च किया है। यह भारत में स्ट्रोक जागरूकता बढ़ाने के लिए एक अनोखी पहल है। ‘ईच वन टीच वन’ शीर्षक वाला यह अभियान पूरे भारत में स्ट्रोक की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि को दर्शाता हैं। इसके अलावा स्ट्रोक के बारे में जागरूकता निर्माण करना कितना जरूरी हैं इस बारे में प्रकाश डालता हैं। “मिशन ब्रेन अटैक” स्ट्रोक की बीमारी से पिडित, थ्रोम्बोलिसिस और मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टीमी से जूझ रहे मरीजों के लिए यह काफी मददगार साबित होगा।

स्ट्रोक के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन ने अहमदाबाद चैप्टर स्थापित किया हैं। अहमदाबाद चैप्टर के शुभारंभ के दौरान, मीडिया को इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन (ISA) के अध्यक्ष डॉ. निर्मल सूर्या, इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन के सचिव और जाइडस अस्पताल अहमदाबाद के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अरविंद शर्मा और पद्मश्री डॉ. सुधीर शाह, एसवीपी अस्पताल और एनएचएल मेडिकल कॉलेज अहमदाबाद में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख और न्यूरोसाइंसेस स्टर्लिंग अस्पताल अहमदाबाद के निदेशक ने संबोधित किया।

भारत में स्ट्रोक के मामले बढ़ते जा रहे हैं। स्ट्रोक के कारण मृत्यु दर भी बढ रही हैं। देश में स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में पूरी तरह से जागरूकता नहीं हैं, इस कारण इस बीमारी से कई लोग जूझ रहे हैं।  इसे देखते हुए इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन ने स्ट्रोक के लक्षणों की तुरंत पहचान करने के लिए ‘मिशन ब्रेन अटैक’ लॉन्च किया गया है। ताकि स्ट्रोक से पिडीत मरीजों को समय रहते निदान और इलाज हो सके और उसकी जान बच सके। स्ट्रोक एक चिकित्सा आपातकाल है और स्ट्रोक के उपचार के लिए सुनहरा समय ४ घंटे और ३० मिनट है, जिसमें थक्के को भंग करने के लिए IV थ्रोम्बोलिसिस का उपयोग करके जीवन बचाया जा सकता है। स्ट्रोक का समय रहते इलाज हुआ तो लकवा, रक्त के थक्के या डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT), निगलने में परेशानी (डिस्फेजिया), मस्तिष्क की सूजन (सेरेब्रल एडिमा) या स्ट्रोक से जुड़े अन्य भाषण विकारों के कारण जीवन भर की विकलांगता जैसी जटिलताओं की संभावना कम हो सकती है।

इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन के अध्यक्ष कंसल्टिंग न्यूरोफिजिसियन डॉ. निर्मल सूर्या ने कहॉं की, “स्ट्रोक का झटका किसी को भी आ सकता हैं।भारत भर में अत्यधिक कुशल स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों का एक नेटवर्क बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो मस्तिष्क के दौरे (स्ट्रोक) के होने पर तेज़ी से और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देंगे। इस पहल के तहत विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा नियमित रूप से वेबिनार आयोजित किए जाएंगे। ताकि समय रहते स्ट्रोक के मरीजों को इलाज मिल सके। स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के किसी क्षेत्र में रक्त का प्रवाह बंद हो जाता है और मस्तिष्क को नुकसान होता है। उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, मोटापा, धूम्रपान, पारिवारिक इतिहास, शराब, गतिहीन जीवन शैली, उम्र और उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण स्ट्रोक का खतरा बढ़ता हैं। स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में लोगों को जागरूक करना इस पहल का मुख्य उद्देश्य हैं।”

इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन (आईएसए) के सचिव और अहमदाबाद के ज़ाइडस अस्पताल में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा, “भारत में हर मिनट तीन लोग ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं। हालांकि, इन मरीजों का इलाज करने के लिए देशभर में केवल ४,००० से ५,००० न्यूरोलॉजिस्ट ही उपलब्ध हैं। इस समस्या से निपटने के लिए, आईएसए ने लोगों में स्ट्रोक के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से नई पहल की शुरूआत की हैं। स्ट्रोक का खतरा कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव करना काफी जरूरी हैं। नियमित स्वास्थ्य की जांच करनी चाहिए। कुछ साल पहले ५० वर्ष के बाद व्यक्ति में स्ट्रोक की बिमारी दिखाई देती थी। लेकिन अब हम ३० से ४० वर्ष की आयु के लोगों में मामलों में खतरनाक वृद्धि देख रहे हैं। पहले, इस आयु वर्ग में केवल ५% स्ट्रोक होते थे, लेकिन यह बढ़कर १०-१५% हो गया है। यह काफी चिंताजनक बात हैं कि अब २० से ३० वर्ष की आयु के युवा व्यक्ति भी स्ट्रोक से जूझ रहे हैं।”

एसवीपी अस्पताल और एनएचएल मेडिकल कॉलेज अहमदाबाद में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख और न्यूरोसाइंसेस स्टर्लिंग अस्पताल अहमदाबाद के निदेशक पद्मश्री डॉ. सुधीर शाह ने कहॉं की,  “केवल उच्च रक्तचाप, मधुमेह, धूम्रपान, शराब और नशीली दवाओं से परहेज, नियमित व्यायाम करने और गतिहीन जीवन शैली से बचने और कोलेस्ट्रॉल और अन्य जोखिम कारकों को नियंत्रित करके ७०% स्ट्रोक को रोका जा सकता है। तीव्र इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है जब बड़ी वाहिका अवरुद्ध हो जाती है, और हर सेकंड, उस इस्केमिक पेनम्ब्रा में ३२,००० कोशिकाएं मर जाती हैं । ऐसी स्थिति में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराके तुरंत इलाज शुरू करना काफी जरूरी हैं। जहां थ्रोम्बोलिसिस सुविधा उपलब्ध है। हर सेकंड में, आप ३२,००० कोशिकाओं को बचा सकते हैं, और यदि आप उपचार में देरी करते हैं, तो १ घंटे में १.२ मिलियन कोशिकाएं मर जाती हैं और हर मिनट १.९  मिलियन कोशिकाएं मर जाती हैं।”

डॉ. शाह ने कहॉं की, “स्ट्रोक के लक्षण हैं BEFAST, बी का अर्थ है असंतुलन की समस्या, चलने में कठिनाई, ई का अर्थ है आँख की समस्या, दृष्टि की हानि, दोहरी दृष्टि। एफ का अर्थ है चेहरे की विषमता, चेहरे का लटकना,  ए का अर्थ है हाथ या पैर को ऊपर उठाने के लिए कहने पर नीचे गिरना और एस का अर्थ है बोलने, बोलने या समझने में कठिनाई, और यह समय। स्ट्रोक को रोकें, जितना जल्दी हो सके इलाज करें, लक्षणों की पहचान करें और समय बर्बाद किए बिना मरीज को नजदीकी अस्पताल ले जाएँ, रक्तस्राव और अन्य स्थितियों को दूर करें, और थ्रोम्बोलिसिस थेरेपी दें, मरीज को आईसीयू में भर्ती करें।”

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