दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड जीतने के बाद दीपिका सिंह ने कहा –कलर्स के‘मंगल लक्ष्मी’ ने बदला मेरा कॅरियर, बना टर्निंग पॉइंट

दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड जीतने के बाद दीपिका सिंह ने कहा –कलर्स के‘मंगल लक्ष्मी’ ने बदला मेरा कॅरियर, बना टर्निंग पॉइंट

भारतीय टेलीविज़न जगत के लिए एक और जश्न का मौका आया है। कलर्स के शो ‘मंगल लक्ष्मी’ में दृढ़, संवेदनशील और सशक्त मंगल की भूमिका निभा रहीं दीपिका सिंह को प्रतिष्ठित दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उनके कॅरियर की उपलब्धि तो है ही, साथ ही उनके निजी जीवन की भी एक भावनात्मक जीत है। दीपिका कहती हैं — “दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड पाने का सबसे खास पल मेरे पापा की प्रतिक्रिया थी। वो हमेशा मुझे आशीर्वाद देते रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी आवाज़ में जो गर्व था, वह मेरे दिल में हमेशा के लिए बस गया।”

दीपिका की यात्रा भी उनकी किरदार मंगल की तरह रही है — हिम्मत, प्यार, विश्वास और जीवन की अनपेक्षित चुनौतियों से जूझने की कहानी। वो बताती हैं — “मैं अपने सफर, अपने फैंस के प्यार, और हर प्रोत्साहन के लिए आभारी हूँ — यहाँ तक कि कठिन दौरों के लिए भी। एक समय था जब मुझे लगा कि मेरा अभिनय कॅरियर शायद खत्म हो जाएगा। वो समय दर्दनाक था, लेकिन उसने मुझे गहराई दी, मेरे अभिनय को संवेदनशीलता दी, और मुझे मजबूत बनना सिखाया। आज मैं उसके लिए भी शुक्रगुज़ार हूँ।”

दीपिका आगे कहती हैं — “यह अवॉर्ड अब मेरे लिए और भी मायने रखता है क्योंकि अब मैं एक माँ हूँ। काम और मातृत्व के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं होता। एक समय ऐसा था जब मैं अपने बेटे को छोड़कर कहीं जाना नहीं चाहती थी। तब मेरे पति रोहित ने मुझे मेरी पहचान और मेरे हुनर की याद दिलाई। उनके विश्वास की वजह से ही ‘मंगल लक्ष्मी’ मेरे जीवन में आया। शुरुआत में मुझे संदेह था कि मैं सब कुछ संभाल पाऊँगी या नहीं, लेकिन उन्होंने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। आज जब हम 600 एपिसोड्स के करीब हैं, तो मुझे लगता है यह उपलब्धि सिर्फ मेरी नहीं है — यह मेरे पूरे परिवार की है, जिन्होंने मुझे संभाला ताकि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकूँ। मैं कलर्स की पूरी टीम, अपने निर्देशक, सह-कलाकारों, लेखकों और पूरी क्रू की आभारी हूँ — यह अवॉर्ड हम सबका है।”

दीपिका ने निर्माता सुज़ाना घोष के प्रति भी आभार व्यक्त किया — “मैं सुज़ाना मैम की आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे मेरे पुराने काम के आधार पर स्टीरियोटाइप नहीं किया और विश्वास किया कि मैं कुछ अलग कर सकती हूँ।” वो आगे कहती हैं — “मुझे प्रेरणा प्रसिद्धि से नहीं मिलती, बल्कि अपने काम की सच्चाई से मिलती है। मुझे डर हमेशा यही रहता है कि कहीं मैं किसी सीन के साथ न्याय न कर पाऊँ। भले ही स्थिति काल्पनिक हो, पर भावना सच्ची होनी चाहिए। मैं हर सीन में अपनी सच्चाई डालती हूँ — पूरे जुनून और समर्पण के साथ। मैं दर्शकों की आभारी हूँ जिन्होंने मेरे इसी सच्चे प्रदर्शन को ‘मंगल’ के रूप में स्वीकारा।”

देखिएमंगल लक्ष्मीहर दिन रात 9 बजे, सिर्फ कलर्स पर

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